UPSC की मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय का अंतिम रूप से चयन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय के दो पेपर होते हैं,जो 250-250 अंकों में विभाजित रहते हैं, ये UPSC Aspirants के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं I
आज विभिन्न कोचिंग संस्थाएँ अपने-अपने विषय को महान बताकर भ्रामक प्रचार में लगे हुए है इसलिए वैकल्पिक विषय से जुड़ी दुविधाओं और उनके समाधान के बारे में एक विस्तृत चर्चा करना जरूरी हो जाता है –
A. वैकल्पिक विषय से जुड़ी प्रमुख दुविधाएं-
1. विषय का चुनाव: सबसे बड़ी दुविधा उम्मीदवार को यह तय करने में होती है कि कौन सा विषय उनके लिए फायदेमंद रहेगा। कुछ उम्मीदवार अपनी शैक्षिक पृष्ठभूमि के अनुसार विषय चुनते हैं, जबकि कुछ अपनी रुचि, तैयारी की सुविधा या स्कोरिंग क्षमता को देखकर चयन करते हैं। अक्सर यह देखा गया है कि उम्मीदवार लोकप्रिय विषयों की ओर आकर्षित होते हैं, जिससे प्रतियोगिता बढ़ जाती है।
2. सामग्री और संसाधनों की कमी: कई बार उम्मीदवार जिस विषय में रुचि रखते हैं, उसके लिए पर्याप्त किताबें, अध्ययन सामग्री या मार्गदर्शन उपलब्ध नहीं होता। इससे तैयारी कठिन और समयसाध्य हो जाती है।
3. अंक वितरण और कठिनाई स्तर: हर वैकल्पिक विषय की पेपर संरचना और कठिनाई का स्तर अलग – अलग होता है।
उदाहरण के लिए, कुछ विधार्थियों को मध्य दुविधा रहती है कि Syllabus ज्यादा रहने वाला विषय ले या नहीं ले । उम्मीदवार अक्सर यह नहीं समझ पाते कि कौन सा विषय उनके लिए संतुलित अंक लाने वाला है।
4. समय प्रबंधन: वैकल्पिक विषय के लिए समर्पित समय, सामान्य अध्ययन और वर्तमान मामलों की तैयारी के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण होता है। यदि तैयारी में असंतुलन हुआ तो मुख्य परीक्षा पर असर पड़ सकता है।
5. व्यक्तिगत रुचि बनाम प्रतियोगिता: कई बार उम्मीदवार केवल प्रतिस्पर्धा में बढ़त पाने के लिए लोकप्रिय विषय चुनते हैं, जिससे उनकी स्वाभाविक रुचि और सीखने की क्षमता प्रभावित होती है।
संक्षेप में, यूपीएससी वैकल्पिक विषय का चयन रणनीति, व्यक्तिगत रुचि और उपलब्ध संसाधनों के बीच संतुलन बनाने का कार्य है। सही विकल्प न केवल अंक में लाभकारी होता है, बल्कि परीक्षा के प्रति आत्मविश्वास और मानसिक संतुलन भी बढ़ाता है।
(B).वैकल्पिक विषय का चयन कैसे करें?
यूपीएससी परीक्षा में वैकल्पिक विषय (Optional Subject) का चयन एक अहम और चुनौतीपूर्ण निर्णय होता है, क्योंकि यह केवल उम्मीदवार के अंक को प्रभावित नहीं करता, बल्कि उसकी तैयारी की दिशा और मानसिक संतुलन पर भी असर डालता है। जैसे की
(1). Upsc में वैकल्पिक विषय के चयन में Educational background का महत्व-
यूपीएससी में वैकल्पिक विषय का चयन करते समय Educational Background यानी शैक्षणिक पृष्ठभूमि का महत्व अत्यधिक है। किसी उम्मीदवार का पिछला अध्ययन और विशेषज्ञता सीधे उसकी समझ और तैयारी की क्षमता को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने इतिहास में स्नातक किया है, तो इतिहास या पुरातत्व जैसे विषय उसकी तैयारी को सहज और प्रभावी बनाते हैं। इसी तरह, विज्ञान या इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार गणित, भौतिकी या स्टैटिस्टिक्स में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। शैक्षणिक आधार पर विषय का चयन न केवल तैयारी में समय बचाता है, बल्कि आत्मविश्वास और स्कोरिंग संभावनाओं को भी बढ़ाता है।
(2.) UPSC Aspirant अपनी रुचि को प्राथमिकता दे –
अपनी रुचि के अनुसार अपने विषय का चयन करना चाहिए जैसे कि, इतिहास में रुचि रखने वाला अभ्यर्थी इतिहास चुनता है, राजनीति से जुड़ी घटनाओं और राजनीतिक मामलों में रुचि रखने वाला अभ्यर्थी राजनीति विज्ञान, साहित्य में रुचि रखने वाला अभ्यर्थी साहित्य से जुड़े विषय का चुनाव करेगा, भौगोलिक घटनाओं में रुचि रखने वाला अभ्यर्थी भूगोल विषय चुनाव करेगा। इस प्रकार हर अभ्यर्थी को अपनी रुचि के अनुसार विषय का चुनाव करना चाहिए I
(3.) वैकल्पिक विषय को समझने में सरलता और विषय की प्रकृति-
Upsc परीक्षा में वैकल्पिक विषय का चयन करते समय विषय की सरलता और उसकी प्रकृति को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विषय की प्रकृति को समझने का मुख्य लाभ यह है कि उम्मीदवार अपनी तैयारी की रणनीति को उसी अनुसार तैयार कर सकता है।
विधार्थी को अपनी क्षमताओं के आधार पर विषय सरल या कठिन लगता है इसलिए विषय का चयन करते समय यह जरूर देखें की विषय की प्रकृति आपके अनुकूल है या नहीं, किसी भी कोचिंग संस्थान या व्यक्ति विशेष के प्रभाव में आकर अपनी प्रकृति के विपरीत विषय का चयन नहीं करें I उदाहरण के लिए , कुछ विद्यार्थियों को इतिहास या भूगोल जैसे विषय सरल लगते हैं किंतु बाजार में किसी एक विषय के अधिक प्रचार से वो गलत विषय का चयन कर लेते हैं I
(4.) UPSC में वैकल्पिक विषय का SYLLABUS और (PYQ) के विश्लेषण के बाद ही वैकल्पिक विषय का चयन करें –
UPSC में वैकल्पिक विषय का चयन करते समय सिलेबस एवं PYQ (पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र) का विश्लेषण I
(i). सिलेबस का महत्व –
हर वैकल्पिक विषय का सिलेबस विस्तृत और विषय के प्रकार के अनुसार अलग होता है। सिलेबस को ध्यानपूर्वक पढ़कर उम्मीदवार यह समझ सकता है कि किसी भी विषय के Syllabus की प्रकृति को देखकर ही एक Aspirant यह समझता है कि कोई भी विषय उसके लिए सहज है या नहीं I
सटीक Syllabus ज्ञान से तैयारी रणनीति बनाना आसान हो जाता है।
(ii).PYQ (पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र) विश्लेषण:
पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण करना उम्मीदवार के लिए गाइडलाइन की तरह है। यह बताता है कि कौन से टॉपिक बार-बार पूछे जाते हैं I पुराने प्रश्नों की प्रकृति से कोई भी Aspirant यह आसानी से जान सकता है कि वह उस विषय के प्रश्नों को समझ पा रहा है एवं इनको हल किया जा सकता है या नहीं I
(5).विषय की स्कोरिंग क्षमता (Subject Scoring) का बाजार में भ्रामक प्रचार –
बाजार में बहुत से कोचिंग संस्थान अपने-अपने विषय को लेकर अधिक अंक आने का दावा करते हैं I आपको स्पष्ट तौर पर बता दूँ कि यह केवल और केवल शिक्षा के बाजारीकरण से संबंधित है एवं इन सभी से आपको बचना चाहिए I
बल्कि आपको बस मेहनत पर ध्यान रखना चाहिए, यह कभी मत सोचो कि बगैर मेहनत के आपको कोई भी विषय अधिक अंक दिला देगा I
(6). Upsc civil services परीक्षा में वैकल्पिक विषय के चयन में उपलब्ध संसाधनों जैसे-books,Notes, online material, classes, toppers veiw इत्यादि का योगदान –
वैकल्पिक विषय के चयन और तैयारी में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही संसाधन उम्मीदवार की तैयारी को आसान, प्रभावी और रणनीतिक बना सकते हैं।
किताबें (Books): वैकल्पिक विषय की अच्छी किताबें और संदर्भ सामग्री विषय की गहरी समझ देती हैं। इससे उम्मीदवार को सिलेबस को व्यवस्थित तरीके से समझने और नोट्स बनाने में मदद मिलती है। विषय आधारित मानक किताबें और NCERTs की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
नोट्स (Notes): अनुभवी शिक्षकों या toppers द्वारा तैयार किए गए नोट्स समय बचाते हैं और विषय के महत्वपूर्ण हिस्सों पर फोकस करने में मदद करते हैं। खासकर उन टॉपिक्स के लिए जो PYQs में बार-बार आते हैं।
ऑनलाइन सामग्री (Online Material):
ऑनलाइन वीडियो लेक्चर, ब्लॉग्स, PDF और क्विज़ उम्मीदवार की तैयारी को फ्लेक्सिबल और इंटरेक्टिव बनाते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से परीक्षा पैटर्न और नवीनतम अपडेट का लाभ भी मिलता है।
क्लासेस (Classes): विशेषज्ञ शिक्षक द्वारा संचालित कोचिंग या ऑनलाइन क्लासेस विषय की जटिल अवधारणाओं को सरल बनाती हैं और टाइम मैनेजमेंट की समझ देती हैं।
Toppers Views: पूर्व टॉपर्स के अनुभव और टिप्स उम्मीदवार को विषय चयन, तैयारी रणनीति और स्कोरिंग संभावनाओं को समझने में मार्गदर्शन देते हैं। यह विशेष रूप से मानसिक तैयारी और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होता है।
संक्षेप में, Upsc Aspirant को किसी भी विषय के चयन करने से पहले एक बार उपलब्ध संसाधनों पर भी शोध करना चाहिए I जिससे कि उसकी तैयारी के दौरान समय में बचत होगी I उम्मीदवार को केवल उपलब्ध संसाधनों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें समझदारी से अपनाना चाहिए
(7).Upsc में वैकल्पिक विषय के चयन में aspirant के medium का योगदान –
यूपीएससी में वैकल्पिक विषय के चयन में अभ्यर्थी के माध्यम (Medium) का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। किसी उम्मीदवार की तैयारी उस भाषा में जितनी सहज और प्रभावी होगी, उसका प्रदर्शन उतना ही बेहतर होता है। माध्यम की समझ न केवल विषय की अवधारणाओं को सरल बनाती है, बल्कि समय प्रबंधन, तेज़ रिवीजन और आत्मविश्वास बढ़ाने में भी सहायक होती हैं।
इसलिए किसी भी विषय की मूल प्रकृति एवं अपने माध्यम को ध्यान में रखते हुए विषय का चयन करें जैसे कि, Science Based Subjects या Anthropology जैसे विषय अंग्रेजी माध्यम वालों के लिए अच्छा है तो वहीं साहित्य आधारित विषय, इतिहास या राजनीति विज्ञान जैसे विषय हिंदी माध्यम वालों के लिए बेहतर है I
(C).वैकल्पिक विषय के बारे में व्यावहारिक सुझाव –
Upsc में वैकल्पिक विषय के चयन और तैयारी के लिए कुछ व्यावहारिक सुझाव ध्यान रखें I
पहले अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और रुचि के अनुसार विषय चुनें, ताकि तैयारी सहज और प्रभावी हो। सिलेबस और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र (PYQs) का विश्लेषण जरूर करें, जिससे महत्वपूर्ण टॉपिक्स का पता चलता है। विश्वसनीय किताबें, नोट्स और ऑनलाइन संसाधन अपनाएँ। यदि संभव हो तो पूर्व टॉपर्स के अनुभव और टिप्स का लाभ उठाएँ।
अंततः, आधुनिक दौर के शिक्षा के बाजारीकरण में किसी भी भ्रामक प्रचार में आए बिना अपने विवेक से वैकल्पिक विषय का चयन करें एवं उसकी नियमित – संगठित तैयारी करते रहे जो वैकल्पिक विषय में आपके उत्कृष्ट प्रदर्शन को सुनिश्चित करेगा I
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